Pregnency months: बहुत ही महत्वपूर्ण होता है pregency (गर्भावस्था) का 6 महीना

6 Month of Pregnancy in Hindi – इस दौरान आपके शिशु का विकास बहुत तेजी से होता है। उसका आकार और वजन दिन प्रतिदिन बढ़ते हैं साथ ही आपके शरीर में भी बदलाव होते हैं जिसपर ध्यान देना जरूरी है। ऐसे में शरीर और शिशु दोनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मात्रा में प्रोटीन का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
गर्भावस्था का 6 महीना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह महीना गर्भावस्था का दूसरा तिमाही का आखिरी महीना होता है। जिसमे गर्भवती महिला को अपने देखभाल के साथ साथ गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को भी ध्यान में रखना पड़ता है। मां बनना एक बहुत ही जिम्मेदारी होती है। हर couple का सबसे खुशनसीब या सबसे सुखद समय होता है। माता पिता बनना एक बहुत ही खूबसूरत पल होता है।
        आइए हम बात करते है इस तीनों तिमाही 1 से 9 महीने के खूबसूरत समय के बारे में जिससे pregent महिला अगर कुछ चीजों को ध्यान रख आप अपनी pregency को एंजॉय के साथ बिता सकती है।

                   Table of contents:
1.   खानपान में ध्यान रखने योग्य बातें 
     .Protine (प्रोटीन) का सेवन।
    .      संतुलित भोजन ले।
     . विटामिन C का इस्तेमाल।
 2.   Keep patience (धैर्य रखे)
3. पर्याप्त नींद ले।
4.   लक्षण
5.   शिशु का विकास (devlopment of baby)
6.   बरतने वाली सावधानियां।


1. खानपान में ध्यान रखने योग्य बातें :

गर्भावस्था के 6 महीने में गर्भवती महिला को अपना तथा अपनी होने वाले शिशु का बहुत ख्याल रखना पड़ता है। गर्भावस्था का 2 trimeminster का आखिरी महीना होता है। इन अंतिम महीने में आपके वजन गर्भावस्था के शुरुवाती महीने से लगभग 8 kg वजन  बढ़ जाता है। इन महीने में आप 20 weeks की pregent है। गर्भावस्था के 6 महीने में हर सप्ताह आपका तथा आपके शिशु का वजन बढ़ता है। ऐसे में आपको एक सही diet (डाइट) को फॉलो करना बहुत जरूरी होता है। आप डॉक्टर के परामर्श से या एक nutritions एक diet chart 📈 बनवा kr डेली follow kr सकते है।
आप अपने खानपान में:

Protine (प्रोटीन) का सेवन:

    गर्भावस्था के 6 महीने में आप आपने खानपान में पोषक तत्वों की मात्रा लेना बहुत आवश्यक है।  Diet में प्रोटीन का सेवन आवश्यक है। प्रोटीन के लिए दालों को अपनी डाइट में सामिल करे।

संतुलित भोजन ले :
हर गर्भवती महिला को संतुलित भोजन लेना बहुत आवश्यक है। संतुलित भोजन में आप एक संतुलित माइंड रख सकते है। भोजन में आप सुबह फल,brown rice, या हल्का नाश्ता कर सकते है। दोपहर में रोटी, दाल सब्जी , दूध, अंडे आदि ले सकती है। संतुलित आहार आपके शिशु के growth के बहुत जरूरी है।

विटामिन C का इस्तेमाल:
विटामिन C का इस्तेमाल गर्भावस्था में लेना अत्यंत आवश्यक है। इस trimeminister में आप vitamic C ke रूप में फलों में संतरा, कीवी, मुसम्मी का जूस आदि का सेवन कर सकती है। विटामिन सी आपके कब्ज की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है।

             2. Keep patience (धैर्य रखे)
अगर आप pregent है तो आपको इस time period में धैर्य रखना अत्यंत आवश्यक है। इस अवस्था में आपको शांत रहना चाहिए। छोटे छोटे कामों में में टेंशन लेने की ज़रूरत नही है। अपने mind को peaceful बनाने के लिए आपको ध्यान, योगा,light exercise करनी चाहिए। आप कोई भी एक्टिविटी और book ki मदद ले सकती है। तनाव बिलकुल भी n ले। आपको इस trimeminister में थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें आपको धैर्य की जरूरत होगी।

       3. पर्याप्त नींद ले:
गर्भावस्था मे आपको पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। 8घंटे की नींद रात में अवश्य ले और दिन में 2घंटे आराम करे।


               3. लक्षण
गर्भावस्था के 6 महीने में आपको अपने body में बहुत से बदलाव देखने को मिलेंगे जैसे कि पैरो में सूजन, पीठ में दर्द, भूख का बार बार लगना, जल्दी जल्दी प्यास लगना। इस trimeminister में आपको थकान महसूस होगी। गैस और कब्ज की प्रॉब्लम हो सकती है। इस 20 सप्ताह की pregency में आपका baby pump show होने लगता है। आप पूर्ण रूप से pregent दिखाई पड़ती है।

      पीठ में दर्द ( backpain),:
      Pregent ladies में पीठ में दर्द हार्मोन के पेल्विक क्षेत्र तथा मांशपेशियों में खिंचाव के कारण दर्द होता है। दर्द कम करने के लिए आप किसी olive oil से massage kr सकती है, थोडा relax महसूस करेंगी।

सूजन(swelling):
 शिशु के विकास हेतु आपके शरीर के अंदर tissue में तरल पदार्थ बनना शुरू हो जाता है, जिससे पेल्विक क्षेत्र में pressure पड़ता है और एडी, पीठ, पैर में सूजन का कारण बनता है 


4. शिशु का विकास (devlopment of baby)  

 इस अवस्था में शिशु विकास बहुत तेजी सी होता है ।
. अपना अंगूठा चूसता है।
. हिचकी लेने लगता है।
. स्किन पारदर्शिता खत्म हो जाती है।
. बाल तथा नाखून बनना शुरू हो जाते है।
. लगभग सभी अंग तैयार हों जाते है।
. शिशु का वजन 500 से 7000ग्राम हो जाता है।
. सोने और जागने का टाइम टेबल बन जाता है।
. शिशु के पेट में निकोमियम नामक पहला पदार्थ बनता है,जो शिशु का पहला मल बनता है।
.इस टाइम पीरियड में शिशु की प्रीमेच्योर डिलीवरी हो सकती है। यही कारण है कि इस स्टेज में शिशु के जन्म लेने पर शिशु सांस नही ले सकता जिसकी वजह से उसे enequvalater में रखा जाता है।


     6. बरतने वाली सावधानियां:
गर्भावस्था में आपको अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप कुछ सावधानियां बरतती है तो आपके जर्नी ( journey) easy हो जाती है। कुछ सावधानियां नीचे दी गई है जो आप कर सकती है:
* हो सके तो travel न करे, अगर ऐसा संभव नही है तो ज्यादा लंबी travelling से बचे।
* पर्याप्त नींद ले।
* भारी वस्तु न उठाए।
* संतुलित आहार लें।
* तनाव न ले।
* समय समय पर डॉक्टर से परामर्श करती रहे।
* आयरन और calcium लें।











 






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